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Description of the Book:
 

कविताएं लिखना कठिन है, समझना उससे भी कठिन। यह काव्य-श्रृंखला क्यों लिखी गई पाठक अपने आप‌ निर्णय करेंगे। मां शारदा एक न एक कौशल बहुजनों को देती हैं। जो उस योग्यता को निखारे, वह अपना अपराधी है; जो ना निखारे, वह अपना। काव्य में जटिल शब्दों का प्रयोग अनिवार्य है अन्यथा बड़ी शीघ्रता से उसका तत्व फीक़ा पड़ने लगता है। सरलता पूर्ण आवरण हटा देती है और बिन आवरण सौंदर्य सांस नहीं ले सकता। काव्य-रचना, हर श्रेष्ठ कला की भांति, रचेता पर कम, क्रेता पर अधिक आश्रित है। धीरे-धीरे जो भाव हृदय को ग्रसित करते गए, स्वयं इस काव्य-कृति मे समाते गए। भिन्न पाठकों के लिए भिन्न प्रकार के रसो से पूर्ण कविताएं संग्रह मे सम्मिलित हैं। फिर भी मेरा निवेदन है पढ़नेवालें सारे रसो का भाव समझे क्योंकि अधिकांश समय एक रस दूसरे से वियुक्त होकर जी नही पाता। जैसे युद्ध मे करुणा है औ' करुणा युद्ध का कारण। - मनन

मेरे आंसुओं में

₹50.00Price
  • Author Name: Manan Mishra
    About the Author: मै दिल्ली यूनिवर्सिटी का छात्र हूं। उम्र 20 साल। तरूण-अवस्था बड़ी विचित्र अवस्था है। अनेकार्थकता उसका स्थायी भाव है। जितना चाह से प्रेम, उतना चाह-पूर्ति से घृणा। बुजुर्गो पर विवेक है, नौजवानों मे चंचलता। अतएव बुजुर्ग परमेश्वर की अराधना मे रत रहते हैं और नवयुवक स्वयं की। वह अपने से ऊपर किसी ईश्वर की प्रधानता स्वीकार नही कर सकता। मैं साहित्य का उद्धार चाहता हूं। मानव-इच्छाएं कितनी प्रबल हैं, मनुष्य को खुद भी ज्ञान नही औ' कितनी दुर्बल हैं यह प्रकृति उसे ज्ञात करवाएं बिना छोड़ती नही। किन्तु उद्धार तो जीर्णता का होता है। तो क्या हमारा साहित्य जीर्ण हो गया? नही यह कहना क्षमा-हीन अपराध होगा। फिर भी, महानता के दिव्य-हवन-कुंड में अनावृत आहुतियां आवश्यक हैं। सो, मैं भी एक देने का प्रयास करता हूं। अब इस कुंड से कैसी शिखा उड़ेगी, यह मैं कहने मे सहज असमर्थ हूं। बाक़ी मेरा 'परिचय' पाठक कविता में पढ़ लेंगे। - मनन
    Book ISBN: 9781005269258

     

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